
धडक़नों में जिंदा है 220 बरस का एक बूढ़ा
220 बरस का एक बूढ़ा मेरे साथ रहता है। जब से होश संभाला वह गली और जिंदगी के हर नुक्कड़ पर मुझसे टकराता है। मेरे कानों में कुछ फूंक जाता …
धडक़नों में जिंदा है 220 बरस का एक बूढ़ा Read MoreJournalist at Dainik Bhaskar
220 बरस का एक बूढ़ा मेरे साथ रहता है। जब से होश संभाला वह गली और जिंदगी के हर नुक्कड़ पर मुझसे टकराता है। मेरे कानों में कुछ फूंक जाता …
धडक़नों में जिंदा है 220 बरस का एक बूढ़ा Read More79 साल के एक बाबा ऑफिस आए। हाथ में 1970 में प्रकाशित स्वलिखित पुस्तक थी, शीर्षक था उमर हार दी एक दाव पर। साथ में कुछ पेज और महाकवि रामधारीसिंह …
दिनकर को चुनौती देने वाले कवि की जिंदगी का हासिल Read Moreतेरी पीठ पर बस्ता मेरी पीठ पर झोला तेरी पीठ तुने नहीं बनाई मेरी पीठ किसने बनाई मैं तुम्हारी किताबें पढऩा चाहती हूं बस्ते में क्या है बस एक बार …
रोटी का सपना Read Moreइस अंधेरे में दीपक जलाना क्यों चाहते हो अपनी लकीरों को आजमाना क्यों चाहते हो बह चुका है नदी का सारा पानी यहां से हाथों में प्यास लिए भटकना क्यों …
प्रतिगामी Read More